Is the Need of Art Gallery in Varanasi
क्या वाराणसी में समकालीन कला के प्रसार के लिए कला दीर्घा या आर्ट गैलरी की आवश्यक्ता है? यह प्रश्न आज विशेष रूप से प्रासंगिक है जबकि पूर्व के दिनों में एबीसी कला दीर्घा, जो कतिपय कारणों से बंद हो गयी और उसके बाद वर्ष २००८ से Qeritica आर्ट गैलरी ने अपनी कला गतिविधियों से यहां क्रान्ति लाने का अभूतपूर्व कार्य किया।
ज्ञात हो कि Qeritica Art Gallery के माध्यम से कई स्थापित और नवांकुर कला-प्रतिभाओं को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ हुआ; साथ ही सामाजिक क्षेत्र में दृश्य कला के प्रति जागृति उत्पन्न हुई।
चित्रकार शशि कान्त नाग एवं कलाकृतियों के व्यवसायी श्री योगेश अग्रवाल के सम्मिलित प्रयास से इस कला दीर्घा की शुरुआत हुई। शशि कान्त नाग ने तन-मन-ज्ञान लगाया तो योगेश अग्रवाल ने तन-मन-धन।
व्यक्तिगत लाभ का परित्याग कर इन दोनों ने इस संस्थान के द्वारा कई अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं स्थानीय स्तर के कला कार्यक्रम आयोजित किये।
वाराणसी की स्थानीय समाचार पत्रों ने प्रमुखता से इन कला कार्यक्रमों की रिपोर्टिंग की। हम धन्यवादी हैं छायाकार स्वर्गीय मंसूर जी का, "दैनिक समाचारपत्र हिंदुस्तान में रहते हुए इन्होने हमें प्रोत्साहित किया. अमर उजाला के जावेद जी, दैनिक जागरण के श्री उत्तम जी, भास्कर से सुरजीत चटर्जी जी, E TV के कुमार जी, सहारा न्यूज़ के सभी साथी- स्थानीय स्तर पर कम कर रहे स्वतंत्र पत्रकार भाइयों ने भी अपना बहुमूल्य समय देकर हमारी संस्कृति के प्रसार में सहयोग किया.
वस्तुतः समग्र प्रयासों के बावजूद व स्थानीय स्तर पर कला संग्रह के प्रति उदासीनता ने इस विकास - यात्रा पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया।
विगत कुछ वर्ष से वाराणसी में गंभीर कला-गतिविधियों में कमी स्पष्ट दृष्टिगोचर है। ऐसे में आम जनता की जिम्मेदारी बन जाती है कि राष्ट्रीय क्षितिज पर सांस्कृतिक राजधानी के रूप में सुशोभित वाराणसी की समकालीन दृश्य कला के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त करे।
1 टिप्पणियाँ
....................Sure this is a impotent issue, ........................
जवाब देंहटाएंAs per Qeritica is concern It was a nice and glories time at Assi Ghat Ganga Muth venue, as per the high court order last year to demolish the building (though yet not done in real) it was a turning point. Four year of performance was outstanding as gallery and institution.....more then 150 solo, group exhibition several camps, symposium, samman samaro, chat, art lecture, visits,It was the first experience in Varanasi for such a contemporary art activities. BUT now Qeritica has lost his venue. Dr. Shahsi Kant Nag is the real strength of the organization. Several people who benefited with Qeritica never return back when it was in trouble. Without a gallery space so called cultural capital of India Varanasi .... is crying .... If you have ears can feel the sound of blank silence..... I do not know I will able to serve the art again or not, I really promise will try to workout for art society to develop again new venue for Qeritica, But Question is still remain same, IS the art gallery important in Varanasi, If No it is good, If yes who is another one to come with me in this cause. Thanks a lot
welcome. what can i do for you?