चित्रकार शशि कान्त नाग की कविता ( कार्य ) Poem of Artist Shashi Kant Nag (Title- The Work)

कठिन कार्य


मुर्दों की आँख में संवेदना की चिंगारी जगाने जैसा कठिन कार्य है आज
चित्रों के विस्तृत समंदर में खुद को ढूंढने जैसा कठिन कार्य है आज
ऑक्सीजन भी है और खतरनाक शार्क या व्हेल जैसी कोई जीव नहीं
खुद के छद्म  प्रतिरूपों में  से खुद को ढूंढने जैसा कठिन कार्य है आज




लगती है पूरी जो तैयारी, उसमे अधूरे को जानने का कठिन कार्य है आज
बढ़ते कदमो के एक एक पग को नापने का कठिन कार्य है आज
मगन होकर तैरता रहा काँटों के बीच संभल कर जो अबतक
उन उन्माद-भरी खरोंचों के निशान ढूंढने का कठिन कार्य है आज




गुजरे हुए वक्त के लम्हात गिनने का कठिन कार्य है आज 
जरा तफ्तीश कर लूँ , ऐसी डग भरने का कठिन कार्य है आज
कहा था जो  समय ने पिछले दिनों , अपने तोहफे के बारे में
गहरी साँस के बीच साँस रोकने का कठिन कार्य है आज




होंसले पहले की तरह बुलंद, रहे नहीं अब ऐ दोस्त
जिंदगी कठिन भी नहीं अब, मुश्किल हालात भी नहीं
फिर भी रही एक जिद अपनी जो पालना एक कठिन कार्य है आज
अपनों को खो कर अपनों  को ढूंढने का कठिन कार्य  है आज

                                                             -शशि कान्त नाग

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