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Abstract Beauty: Paintings by S. K. Nag in Oil and Acrylic

Three beautiful Paintings by S. K. Nag | Abstract Acrylic Painting on Canvas  | Home Decor Painting   Content: Dive into the mesmerizing world of abstract art with three stunning paintings by the renowned artist S. K. Nag . These works, created in oil and acrylic on canvas, showcase the artist's ability to blend emotion, color, and form into visually arresting masterpieces. 1. "Whirlscape,  Medium: Oil on Canvas,  Size: 38 cm x 48 cm, 2011 Description: "Whirlscape" captures the chaotic beauty of nature through swirling brushstrokes and an interplay of vibrant hues. The painting evokes a sense of motion, inviting viewers to immerse themselves in its dynamic energy. Shades of blue and green dominate the canvas, symbolizing harmony and transformation, while the burst of pink adds a touch of vibrancy, suggesting hope amidst chaos. Search Description: "Experience the dynamic beauty of 'Whirlscape,' an abstract oil painting by S. K. Nag. Explore thi...

विलियम वर्द्स्वर्थ का सौंदर्य शास्त्र

 William Wordsworth and His Aesthrtics

विलियम वर्द्स्वर्थ का सौंदर्य शास्त्र

उत्तम काव्य या कलाकृति से भी मनुष्य-मन को आनंदित किया जा सकता है।
 



अत: कवि या कलाकार को अच्छे विषय का चयन करना चाहिए। ऐसे विषयों की कमी नही है और कवि को जहाँ भी संवेदना का वातावरण मिलता है, वहीं वह चला जाता है।




वर्द्स्वर्थ ब्रिटेन के महाकवि थे।

अंग्रेजी साहित्य-जगत में वर्डसवर्थ (1770-1850) की रचनाओं तथा चिंतन ने नए 'स्वच्छन्दतावादी युग की प्रतिष्ठा की। विलियम वर्ड्सवर्थ (७ अप्रैल,१७७०-२३ अप्रैल १८५०) एक प्रमुख रोमाँचक कवि थे और उन्होने सैम्युअल टेलर कॉलरिज कि सहायता से अंग्रेजी सहित्य में सयुक्त प्रकाशन गीतात्मक गाथागीत के साथ रोमन्चक युग क आरम्भ किया। वर्द्स्वर्थ कि प्रसिध रचना 'द प्रेल्युद' हे जो कि एक अर्ध-आत्मचरितात्मक कवित माना जाता है। 





विलियम वर्डसवर्थ तथा कालरिज दोनों ही कवि और समीक्षक के रूप में स्वच्छन्दतावादी विचारधारा के प्रवर्तक हुए। उनके साझा काव्य संकलन 'लिरिकल बैलडस है जो 1798 र्इ. में प्रकाशित हुआ था। वर्डसवर्थ ने 1800 के संस्करण में इस प्रति में एक भूमिका जोड़ दी, जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इस भूमिका में कवि ने कवि, काव्य और काव्यभाषा के सम्बन्ध में अपने विचार प्रस्तुत किए थे। वर्डसवर्थ कवि थे, आलोचक नहीं। वे काव्यरचना करते थे और उनके साहित्यशास्त्राीय विचार अपने काव्य को ही लक्ष्य करके कहे गए थे।







काव्य या कला को परिभाषित करते हुए इन्होंने कहा है।  'सभी उत्तम काव्य सशक्त भावों या अनुभूति का सहज उच्छलन है। ('भाव अर्थात 'अनुभूति, 'सहज अर्थात 'स्वत: प्रवृत्त, 'अनायास। 'उच्छलन अर्थात अधिक भरने पर 'छलक जाना।) 

इस प्रसंग में वर्डसवर्थ ने यह निष्कर्ष भी निकाला है कि जब प्रकृति स्वयं मनुष्य-मन को प्रसन्न रखने के लिए सजग रहती है तो कवि को भी इस शिक्षा से लाभ उठाना चाहिए और तदनुसार अपने पाठक को जो भी भाव वह सम्प्रेषित करें, वे भाव कवि के स्वस्थ व सशक्त मन वाले हों और पाठक को सदा ही अधिक आनन्द से भरे।

वर्ड्सवर्थ के अनुसार रचना प्रक्रिया-


वर्डसवर्थ ने काव्य-रचना के क्षणों में 'सजग भावावेग को महत्वपूर्ण माना है परन्तु वह निरी भावुकता के समर्थक नहीं हैं। अत: उन्होंने अतीत में जागे किसी भावावेग के सदृश भावावेग के पुन: प्रदीप्त होने के पूर्व, उस भाव पर चिन्तन-मनन का विशेष उल्लेख किया है। 

अत: किसी प्रत्यक्ष वस्तु से (अर्थात प्राकृतिक दृश्य या घटना आदि को देखकर) सम्वेदनशील कवि या कलाकार के मन में किसी भाव या भावों का उदय होना काव्य-रचना के लिए अनिवार्य उपादान है। 

 परन्तु उस वस्तु के परोक्ष हो जाने पर या दूर हो जाने पर, फिर कभी, शान्ति के क्षणों में, कवि का उस भाव पर चिन्तन-मनन के परिणामस्वरूप मूलभाव के सदृश भाव या भावों का उदय होना तथा उन भावों का उच्छलन अर्थात उन भावों की 'काव्य के रूप में अभिव्यकित होना- ही उनके अनुसार काव्य-रचना की प्रक्रिया है।

कवि के गुणों में इसी कारण चिंतन  तथा विवेक को भी वर्डसवर्थ ने महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है और कालांतर में 'कला के नियमों तथा काव्य शिल्प का महत्त्व भी स्वीकारा है। अपने एक मित्र ए. हेवार्ड को परामर्श देते हुए उन्होंने लिखा था-

 ''मनुष्य जितना मान सकता है उससे अनन्त गुणा अधिक काव्य-रचना एक कला है। उसकी पूर्ण सफलता असंख्य गौण बातों पर निर्भर करती है।

अपने काव्य को कवि बार-बार सुधारे तथा शिल्प को महत्त्वपूर्ण माने, यह कहते हुए भी वर्डसवर्थ ने काव्य को मूलत: भावावेग अर्थात किसी मूल प्रेरणा का ही परिणाम माना है, परिश्रम का नहीं। 'मूल अन्त:दृष्टि की ताजगी और स्पष्टता से विविध सत्यों का दर्शन करना वर्डसवर्थ की दृष्टि में मूल प्रेरणा में 'अन्त:दृष्टि का महत्त्व ही दर्शाती है।

कवि को भावों के प्रकटीकरण में उल्लास तो मिलता है परन्तु क्या काव्य इसी उल्लास के लिए रचा जाता है? 

 इस प्रश्न के समाधान के लिए वर्डसवर्थ ने काव्य का स्वरूप इससे अधिक उदात्त माना है। मनुष्य के मानसिक तथा नैतिक स्वास्थ्य के साथ ही आनंद प्राप्ति कराने के लिए मनुष्य-भावनाओं का उपयोग ही काव्य का उद्देश्य है। 

उनके अनुसार- ''प्रत्येक महान कवि शिक्षक होता है, मैं शिक्षक के रूप में सम्मानित होने का इच्छुक हूँ, अन्यथा नगण्य रहना ही अच्छा है। कवि को -भावनाओं का परिष्कार करना चाहिए, अपनी भावनाओं को अधिक स्वस्थ, शुद्ध तथा स्थायी बनाना चाहिए। कवि को चाहिए कि मनुष्य को प्रकृति के, अर्थात शाश्वत प्रकृति के, तथा वस्तुओं के महान केन्द्र-बिन्दुओं  के अनुरूप बनाए।

यहाँ 'प्कृति से कवि का क्या तात्पर्य है? रेने वेलेक ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ  में इसके अर्थ बताए है-'पर्कृति के सान्निघ्य में तथा नगर-सभ्यता के दोषों से दूर रहने वाले आदर्श मनुष्य, का परस्पर बंधुत्व तथा मनुष्य एवं
प्रकृति के मध्य एकता।

 अत: वर्डसवर्थ के मत में काव्य का उद्देश्य प्रकृति के सान्निघ्य में जीवन जीने की भावना जगाना, परस्पर बन्धुत्व की भावना जगाना तथा  प्रकृति-नदी, पर्वत, वृक्ष, पुष्प, आकाश, समुद्र आदि के साथ मनुष्य की आत्मीयता जगाना है। 

आधुनिक नगर-जीवन के यांत्रिक वातावरण में, स्वार्थी तथा बर्बर प्रवृत्तियों ने मनुष्य को भावना-शून्य कर दिया है। काव्य का उद्देश्य इस दृश्य को बदल कर सही भावनाएं तथा सही जागरूकता को लाना है। इसे हम 'मनुष्य का मानवीयकरण भी कह सकते हैं।

वर्डसवर्थ के काव्य में चिंतन के साथ भावप्रवणता को भी महत्व है। ''वे काव्य, जिनका कुछ भी मूल्य है, उन्हीं व्यकितयों द्वारा रचे गए थे जिनमें असाधारण भावप्रवणता थी और जिन्होंने देर तक गंभीरता से चिन्तन भी किया था। इसका यह कारण है कि भावनाएं व विचार एक दूसरे को प्रभावित करते रहते हैं। अत: भावप्रवण पाठक को उदेश्ययुक्त काव्य में आनंद भी मिलेगा। उसकी रुचि परिमार्जत होगी और भावनाएं भी परिष्कृत होंगी।

वर्डसवर्थ ने काव्य और कला के विषयों को भी महत्त्वपूर्ण माना है। ''अखबारों के उत्तेजक समाचार, या उद्वेगपूर्ण उपन्यास, आदि वर्तमान मनुष्यो के लिए स्थूल व उग्र उत्तेजना पैदा करने का कार्य करते है। परन्तु अच्छे विषय पर रचे गए उत्तम काव्य या कलाकृति से भी मनुष्य-मन को आनंदित किया जा सकता है। 

अत: कवि को अच्छे विषय का चयन करना चाहिए। ऐसे विषयों की कमी नही है और कवि को जहाँ भी संवेदना का वातावरण मिलता है, वहीं वह चला जाता है।

यहाँ पर काव्य और विज्ञान में एक विशेष अन्तर सामने आता है। ''कवि का ज्ञान वैज्ञानिक ज्ञान के समान आनंद रूप होता है। परंतु कवि का बोध या ज्ञान हमारे मानवीय असितत्व का अनिवार्य अंग है जबकि वैज्ञानिक ज्ञान वैयकितक उपलब्धि है। 

कवि का ज्ञान हमारा स्वाभाविक उत्तराधिकार है और इसे कोर्इ हमसे छीन नहीं सकता। वैज्ञानिक ज्ञान का अर्जन धीरे-धीरे ही किया जा सकता है। सत्य को दूरस्थ अज्ञात उपकारी समझ कर वैज्ञानिक एकांत में सत्य का अनुसंधान व पोषण करता है। जबकि कवि सत्य को अपना साकार मित्र व साथी मान कर उसकी उपस्थिति में हर्षित होता है और गीत गाता है जिसमें सभी मनुष्य उसके साथ हो जाते हैं।

वर्डसवर्थ के विचार-दर्शन में ''काव्य समस्त ज्ञान का प्राण और आत्मा है ।
 कवि मनुष्य-पृकृति की प्रतिरक्षक चटटान है, उसका पोषक है। कवि आत्मीयता के साथ ही हर स्थान पर जाता है। ''विविध प्राकृतिक और सामाजिक भेदों, स्वाभाविक विस्मृति के होते हुए भी कवि मनुष्य-समाज के साम्राज्य को भाव व ज्ञान  से बांधता है।

 ''काव्य समस्त ज्ञान का प्रारंभ भी है और अंत भी। काव्य मनुष्य-हरदय के समान ही अमर है। काव्य में सरलता के प्रतिपादक वर्डसवर्थ के मत में ' उदात्त धारणा वाला कवि या कलाकार क्षणिक और अनावश्यक अलंकारों का उपयोग करके अपने चित्रों की पवित्रता और सत्य को नष्ट नहीं करेगा, और उनका प्रयोग करके प्रशंसा-प्राप्त का प्रयास नहीं करेगा, क्योंकि इसकी आवश्यकता तभी पड़ेगी जब कवि क्षुद्र विषय पर लिख रहा हो।

 काव्य में छंद का असाधारण महत्त्व वर्डसवर्थ ने स्वीकार किया है। उनके अनुसार काव्य-भाषा को गध-भाषा से विशिष्ट करने वाला एक मात्रा तत्त्व 'छंद ही है। वे विषय के अनुसार छंद का भेद स्वीकार करते हैं। उनका मत है कि छंद के कारण ही कवि की भाषा में विशिष्टता आ जाती है। वे छंद को कविता के लिए अनिवार्य नहीं मानते, पर उसकी शक्ति, प्रभावशीलता आदि के प्रतिपादक हैं।
इस प्रकार आपने जाना कि विलियम वर्ड्सवर्थ एक कवि थे किन्त उनके रचना संबंधी विचार आपकी कलायात्रा में भी मत्वपूर्ण हैं। वर्ड्सवर्थ के अनुसार काव्य क्या है, रचनाप्रक्रिया क्या है। स्टाइल या छंद क्यों महत्वपूर्ण हैं, कला में विषय की आवश्यकता क्यों है। कलाकार के ज्ञान और वैज्ञानिक के ज्ञान में क्या अंतर है। इनसब के बारे में वर्ड्सवर्थ के दर्शन क्या हैं इसकी संक्षिप्त जानकारी आपको हुई।

 निःसंदेह आपको अपने पाठ्यक्रम और अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी इसका लाभ होगा। 



नमस्कार।


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