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History of Still life Painting 

 Vastu Chitran Ka Itihas,                                                                          स्टील लाइफ पेंटिंग का इतिहास 


वस्तु चित्रण या स्थित जीवन चित्रण के लिए फ्रेंच भाषा की शिक्षक नेचर मोर्ते का उपयोग होता है वस्तुत आया आंचल वस्तुओं को प्राया टेबल पर व्यवस्थित कर चित्रकला हेतु एक सुखद सौंदर्य मई विषय वस्तु के रूप में प्रस्तुत होता है इसमें प्राया फल फूल टेबल कुर्सी चाकू तथा अन्य घरेलू उपयोग की वस्तुएं प्रयोग की जाती है स्टील लाइफ टर्म का या शब्द का प्रारंभ डच भाषा के शब्द स्टील इमेज से लिया गया है जिसे 16 वीं शताब्दी में प्रमुखता मिली थी(1) ऐतिहासिक दृष्टि से अब तक ज्ञात 15 वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व में मिस्र के लोगों के द्वारा दफन स्थलों में भोजन, फसलों, मछली आदि अनेक दैनंदिन वस्तुओं के चित्र बनाए गए थे. मीना के मकबरे में इस प्रकार के अनेक उदाहरण प्राप्त होते हैं.



प्राचीन यूनानीयों तथा रोमन ने भी निर्जीव वस्तुओं का चित्रण किया जबकि वह मौजायक शैली में चित्रण हेतु स्टील लाइफ विषय को प्रमुखता देते थे.  


उन्होंने इसे फ्रेस्को चित्रण में भी निर्मित किया जैसा कि पाम्पेई से प्राप्त उदाहरण चित्र स्टील लाइफ विद ग्लास बाउल रूप में देखा जा सकता है.

                                                    यह प्रथम शताब्दी के दौरान निर्मित हुआ.

मध्य काल के दौरान कलाकारों ने इस प्रकार के चित्रण में धार्मिक दृष्टिकोण को अपनाया. बाइबल के दृश्यों के चित्रण में प्रतीकात्मक रूप से इसे बनाया गया तथा पांडुलिपि ग्रंथों की सजा हेतु भी वस्तुओं के चित्र बॉर्डर के रूप में बनाए गए. पुस्तकों के किनारों की सज्जा हेतु सिक्के, समुद्री सीप, फलों का अलंकरण इत्यादि बनाया जाने लगा. इस प्रकार के चित्र 1440 इसी में ऑवर्स ऑफ कैथरीन ऑफ़ क्लेव्स (Hours of Catherine of Cleves) की बुक में देखा जा सकता है.



पुनर्जागरण काल के कलाकारों ने फूलों के चित्रों के द्वारा स्टील लाइफ क्यों को प्रचलित किया यह चित्र यहां के विभिन्न देशों और क्षेत्रों में गुलदस्ते के साथ या फूलदान के साथ या फूलों के खेलते हुए धन के साथ चित्रित किए गए 17 वीं शताब्दी की शुरुआत में नॉर्दन रेनेसा आर्टिस्टो में विशेष रुप से इसे प्रतिष्ठा प्राप्त हुई जब इन्होंने वस्तुओं के और रोजमर्रा के जीवन के यथार्थवाद चित्रण में रुचि लेनी शुरू की.  जॉन ब्रूगेल द इल्डर के चित्र फ्लावर इन अ वुडेन वेसेल 1606-7 में देखा जा सकता है।



डच कला में वस्तु चित्रण का स्वर्णिम युग प्रारंभ होता है.  इन कलाकारों ने मोमेंटो, मोरी कला के अलंकरणात्मक चित्रण के साथ इसे प्रगति दी. डच संस्कृति में वनिता पेंटिंग का अत्यधिक महत्व था. मृत्यु के यादगार स्वरुप  स्मृति के रूप में तथा जीवन की क्षणभंगुरता दर्शाने के लिए प्रतीक रूप में स्थिर  जीवन के अनेकों चित्र बनाए गए. इन चित्रों में मानव खोपड़ी, जलती मोमबत्तियां, फूलों इत्यादि को समाहित किया गया है हालांकि मोमेंटो मोरी कला के विपरीत वनिता चित्रों में अन्य प्रतीकों यथा वाद्य यंत्रों, शराब की बोतलें और किताबें आदि सांसारिक सुख प्रदान करने वाली वस्तुएं भी शामिल है, जो जीवन के हठी एवं दंभी स्वभाव की प्रतीक है। 


इस प्रकार हम कह सकते हैं कि डच स्टिल लाइफ पेंटिंग जीवन और मृत्यु के ऊपर टिप्पणी के रूप में परिलक्षित होता है.  पीटर क्लिस के चित्र वनिता स्टील-लाइफ (1625) में  मेमोरी ऑफ नीदरलैंड तथा दूसरा चित्र स्टील

 लाइफ ब्रेकफास्ट में हम इस टिप्पणी को महसूस कर सकते हैं।

आधुनिक काल के कई कला आंदोलनों में स्टील लाइफ पेंटिंग एक लोकप्रिय विषय रहा है. यद्यपि पियरे अगस्ते रेनवौ जैसे प्रभाववादी  कलाकारों के लिए यह अत्यंत सुखद विषय रहा. 


 उत्तर प्रभाववादी  कलाशैली  में यह  ज्यादा आधुनिक महत्व को प्राप्त हुआ जब विंसेंट वैनगोग ने फ्लावर  वेसेज को एक विषय के रूप में अपनाया 

और पॉल सेंजान ने सेब, शराब की बोतलें और जग को टेबल के ऊपर रखकर इनके श्रृंखला चित्र बनाये .


पॉल सेजान ने डच संस्कृति को समर्पित करते हुए मानव खोपड़ी को शामिल करके भी वस्तु चित्रण बनाया. स्टील लाइफ विद स्कल 1895 से 19०० के बनाए गए चित्र में वनिता चित्रों के प्रति सेजान के समर्पण को  देखा जा सकता है. 


 उत्तर प्रभाववादी  कलाकारों के अलावा घनवादी कलाकार पाब्लो पिकासो और जॉर्ज ब्रोक ने प्रयोगधर्मिता के साथ स्टील लाइफ चित्रण किया. जॉर्ज ब्रोक की पेंटिंग जो मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम आफ आर्ट में रखी हुई है. 


स्टील लाइफ विद मेट्रोनॉमी 1909 में  जोर्ज ब्रोक की प्रयोग धर्मिता दिखती है.  

 पॉप आर्टिस्ट रॉय लिचेंस्टीन दैनंदिन जीवन की वस्तुओं यथा फूलों की टोकरी, फलों की टोकरी से लेकर आधुनिक तकनीकी अविष्कारों तक की वस्तुओं को चित्रण हेतु पसंद करते थे.

 समकालीन कला में वस्तु चित्रण के कई स्वरूप दिखाई देते हैं. वर्तमान में अनेक कलाकारों ने आधुनिक समय की भोज्य सामग्री तथा वस्तुओं को अतिशयोक्ति पूर्ण यथार्थ चित्र करते हुए वस्तु चित्रण की कालातीत परंपरा को एक समकालीन मोड़ दिया है. यह चित्र सांसारिक वस्तुओं को अतिरंजित रूप में प्रस्तुत करते हुए नवीन भाषा की ओर अग्रसारित हैं. यहां वे फोटोग्राफी विधा को भी चुनौती देते हुए दिखते हैं. त्जाफ स्पारनी नामक कलाकार 1987 के बाद से लगातार ऐसी शैली  में कार्य कर रहे हैं. 


 इनका  मेगा रियलिज्म समकालीन अंतरराष्ट्रीय कला आंदोलन का हिस्सा है और इन्हें ट्रेंड सेटिंग चित्रकारों में देखा जाता है. 2013 में इनके द्वारा निर्मित चित्र हेल्दी सैंडविच विशेष लोकप्रिय माना जाता है.  हाइपर रियलिस्टिक स्टील लाइफ पेंटिंग आर्टिस्ट के रूप मैं कनाडा में 1971 में जन्मे जैसन दि ग्राफ  का नाम अग्रणी है एक्रेलिक कलर के प्रयोग से यह चित्रण कार्य करते हैं उनके द्वारा बनाया गया बल्ब का संयोजन  चित्र विशेष लोकप्रिय रहा है. 


 उत्तर भारत में हमारे आस पास के कई युवा हैं जो स्टील लाइफ चित्रण के द्वारा अपनी पहचान बना रहे हैं यद्यपि कला महाविद्यालय के विद्यार्थी प्रारंभ से ही वस्तु चित्रण करते रहे हैं और यह उनके पाठ्यक्रम में भी शामिल है तथापि अध्ययन के उपरांत कुछ एक कलाकार ही वस्तु चित्रण को निरंतरता हेतु प्राथमिकता देते हैं.  वैसे मैं व्यक्तिगत रूप से विद्यार्थियों से अपनी करना चाहूंगा कि वह वस्तु चित्रण को प्रमुखता से अपने कार्यों में शामिल करें क्योंकि वस्तु चित्रण अभिव्यक्ति के साथ-साथ हमारी संवेदना को जागृत करता है. उदाहरणस्वरूप पॉल गौग्वें  की कुर्सी  का चित्रण के द्वारा वेंन्गौग ने  केवल कुर्सी का चित्रण नहीं प्रस्तुत किया यद्यपि वह उसके साथ पॉल गौग्वें  के साथ अपनी आत्मिकता को महसूस करते थे.
 हिंदुस्तान में वस्तु चित्रण का प्रयोग दृश्य कला की अकादमिक शिक्षा के साथ ही माना जाता है ऐतिहासिक संदर्भ में यहां पर भी अनेक शास्त्रीय भित्ति चित्रों में वस्तुओं का चित्रण संयोजन चित्रों के साथ में किया गया है बौद्ध कालीन चित्रों में ऐसे अनेक उदाहरण प्राप्त होते हैं. भारतीय लघु चित्रों में भी वस्तुओं का चित्रण प्राप्त नहीं होता है बल्कि संपूर्ण चित्रण के दौरान इससे सहयोगी आकारों के रूप में प्रस्तुत किया गया है.
वर्तमान संदर्भ में जल रंग माध्यम में वस्तु चित्रण के अभ्यास करते हुए अनेक विद्यार्थी हैं जो कालांतर में अन्य माध्यमों यथा विशेषकर एक्रेलिक माध्यम में भी वस्तु चित्रण करते हुए अपनी पहचान बना रहे हैं।  अनेक सामाजिक संदर्भों में ऐसे चित्र प्रमुखता पाते हैं और सशक्त अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में इसकी प्रतिष्ठा होती है इनमें युवा चित्रकारों में विकास कुशवाहा, रंजीत कुमार, आदि नाम स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं।

विडियो लेक्चर के लिए आप हमारे यूट्यूब चैनल आर्ट क्लासेज विथ नाग सर से और भी पाठ्क्रम सामग्री पा सकते हैं.     





References
1. Madlyn Millner Kahr, Dutch Paintings in the Seventeenth Century, Routledge, NY, USA, 2018,  p.146
2. Meagher, Jennifer, "Food and Drink in European Paintings", Heibrunm Timeline of Art History, NY, The metropolitan Museum of Art, 2000. URL http://www.metmuseum.org/Toh/hd_food.htm (may 2009)
3. David Ekserdjian, Still life before still life, Yale University Press, 2018
4. Jochen Sander (ed.), Hatke Cantz Verlag, The Magic of things: Still life paintings, 1500-1800, Stadel Museum, ( Exhibition catalogue, dated 9/7/2008-1/4/2009), 2008, p.13, 14, 324
5.  Kelly Richman-Abdou, "How Actief Have Kept Still Life Painting alive over Thousand of year", URL Mymodernmet.com, 31 may 2018


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