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Abstract Beauty: Paintings by S. K. Nag in Oil and Acrylic

Three beautiful Paintings by S. K. Nag | Abstract Acrylic Painting on Canvas  | Home Decor Painting   Content: Dive into the mesmerizing world of abstract art with three stunning paintings by the renowned artist S. K. Nag . These works, created in oil and acrylic on canvas, showcase the artist's ability to blend emotion, color, and form into visually arresting masterpieces. 1. "Whirlscape,  Medium: Oil on Canvas,  Size: 38 cm x 48 cm, 2011 Description: "Whirlscape" captures the chaotic beauty of nature through swirling brushstrokes and an interplay of vibrant hues. The painting evokes a sense of motion, inviting viewers to immerse themselves in its dynamic energy. Shades of blue and green dominate the canvas, symbolizing harmony and transformation, while the burst of pink adds a touch of vibrancy, suggesting hope amidst chaos. Search Description: "Experience the dynamic beauty of 'Whirlscape,' an abstract oil painting by S. K. Nag. Explore thi...

ऐक्रेलिक रंग, इतिहास, तकनीक एवं सामग्री

ऐक्रेलिक रंग, इतिहास, तकनीक एवं सामग्री


 

ऐक्रेलिक रंग एक तेजी से सूखने वाला पेंट होता है। 
यह रंगचुर्ण के साथ और भी अनेक रसायनों के मिश्रण से तैयार होता है। जैसे इसमें ऐक्रेलिक पॉलीमर इमल्शन और प्लास्टिसाइज़र, सिलिकॉन ऑइल, डिफॉमर, स्टेबलाइजर्स तथा मेटल साबुन आदि मील होते है। संक्षेप में ऐक्रेलिक पायस जो तेल और पानी का मिश्रण है, के साथ रंगचुर्ण को मिलाकर अक्रयलिक रंग तैयार होता है।


इसका इतिहास अनेक चरणों मे है। आईये इसके विकासक्रम को जानते हैं।

ओटो रोहम नामक व्यक्ति ने ऐक्रेलिक रेसिन का आविष्कार किया, जो जल्दी से ऐक्रेलिक पेंट में तब्दील हो गया। 1934 की शुरुआत में, जर्मन रासायनिक कंपनी बीएएसएफ द्वारा पहली बार प्रयोग करने योग्य ऐक्रेलिक रेसिन का विकास किया गया था, जिसे रोहम् और हास ने पेटेंट कराया था।

1940 के दशक में पहली बार सिंथेटिक पेंट का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें तेल और जल रंग के कुछ गुणों का संयोजन था।
1946 और 1949 के बीच, लियोनार्ड बोकोर और सैम गोल्डन नामक व्यक्तिओं ने  मैग्ना पेंट ब्रांड के तहत एक एक्रिलिक पेंट सोलुशन का आविष्कार किया। ये खनिज तेल यानी मिनरल स्परिट-आधारित पेंट थे। और 1950 के दशक में व्यावसायिक रूप से ऐक्रेलिक पेंट उपलब्ध हो गए।

पानी आधारित ऐक्रेलिक पेंट्स को बाद में लेटेक्स हाउस पेंट्स के रूप में बेचा गया।  लेटेक्स शब्द पानी में घुलनशील पॉलिमर माइक्रो-पार्टिकल्स के लिए तकनीकी शब्द है। आंतरिक उपयोग के लिए लेटेक्स हाउस पेंट्स बाइंडर (कभी-कभी ऐक्रेलिक, विनाइल, पीवीए और अन्य), तथा पिगमेंट जिसे हिंदी में रंगचुर्ण कहते हैं और पानी के मिश्रण से तैयार होते हैं।

जबकि बाहरी प्रयोग हेतु लेटेक्स हाउस पेंट भी  एक को-पॉलीमर मिश्रण होते हैं, लेकिन सबसे अच्छा एक्सटीरियर पेंट 100% एक्रिलिक होता है जो काफी लचीला होता है। इसका फैलाव ज्यादा होता है। जल आधारित ऐक्रेलिक बाइंडरयुक्त रंग को  घर या भवनों के पेंट के रूप में प्रयोग होने के तुरंत बाद, कलाकारों और कंपनियों ने कला क्षेत्र की संभावनाओं को तलाशते हुए इन नए बाइंडरों की क्वालिटी और क्षमता का पता लगाना शुरू कर दिया।

1950 के दशक में लिक्विटेक्स द्वारा पानी में घुलनशील ऐक्रेलिक पेंट्स कलाकारों के लिए व्यावसायिक रूप से बेचे गए, और 60 के दशक की शुरुआत में आधुनिक तेज-चिपचिपापन लिए हुए जिसे हाई विस्कॉसिटी पेंट्स  कहते हैं, मार्किट में उपलब्ध थे।
1953 में, जोस एल गुटिरेज़ ने मेक्सिको में पोलिटेक ऐक्रेलिक आर्टिस्ट्स कलर्स का निर्माण किया, और सिनसिनाटी स्थित परमानेंट पिगमेंट कंपनी के हेनरी लेविंसन ने लिक्विटेक्स रंगों का उत्पादन किया। ये दोनो उत्पाद कलाकारों के लिए पहले ऐक्रेलिक पायस आधारित रंग थे।इसके बाद, गोल्डन कलर या सुनहरा रंग जल माध्यम के ऐक्रेलिक पेंट के रूप में आया, जिसे "एक्वाटेक" कहा जाता है।

1963 में, जॉर्ज रोवेनी जो (1983 से दलेर-रॉवोनी कंपनी का हिस्सा रहे), पहला निर्माता था, जिसने क्रायला ब्रांड नाम के तहत यूरोप में कलाकारों की एक्रिलिक पेंट्स पेश किया था।

ये तो हुआ इसके विकास का ऐतिहासिक घटनाक्रम। अब
एक्रिलिक रंग से पेंटिंग के तरीके  के बारे में बात करते हैं।
ऐक्रेलिक पेंट पानी में घुलनशील होते हैं, लेकिन सूखने पर पानी के प्रतिरोधी हो जाते हैं। यह निर्भर करता है कि पेंट पानी से कितना पतला घुला है, या ऐक्रेलिक जैल, माध्यम या पेस्ट के साथ कितना  मिश्रित किया गया है।

ऐक्रेलिक चित्रकार ऐक्रेलिक रंग माध्यमों  यानी मीडियम का उपयोग करके या केवल पानी की सहायता से चित्र-सतह पर पेंट को मोटा, गाढ़ा, ठोस या अधिक तरलता के साथ प्रयोग करते हुए, अनेक प्रकार के चित्र प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं।

इस रंग के गुणों यानी कठोरता, लचीलापन, बनावट और अन्य विशेषताओं के कारण कलाकार इसमें नव प्रयोग कर सकते हैं।
पूर्णतः तैयार ऐक्रेलिक चित्र एक वॉटरकलर पेंटिंग या गवास चित्र या आयल पेंटिंग के समान दिखाई देती है।
 इस माध्यम की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं जो अन्य मीडिया के साथ प्राप्य नहीं हैं।
वॉटरकलर आर्टिस्ट और ऑयल पेंटर भी विभिन्न माध्यमों का उपयोग करते हैं, लेकिन ऐक्रेलिक माध्यमों की सीमा बहुत अधिक है।

ऐक्रेलिक में कई अलग-अलग चित्रण सतहों पर स्थायी होने की क्षमता होती है, और मीडियम की सहायता से रंग के बाइंडिंग की विशेषताओं का उपयोग कलाकार अपने इच्छानुसार प्रभाव लाने के लिए कर सकता है।

ऐक्रेलिक का उपयोग कागज, कैनवास और अनेक प्रकार की अन्य सरफेस पर किया जा सकता है। 
हालांकि फाइबरबोर्ड जैसे इंजीनियर की लकड़ी या रेशेदार लकड़ी जो रंग को तेजी से सख्ती हो, पर इस रंग के उपयोग से समस्या हो सकती है। ऐसे में यह सुझाव है कि चित्र सतह को पहले एक उपयुक्त प्राइमर घोल से  लेपन किया जाए।

रंग लगाने के संदर्भ में बात करें तो

वाटर कलर के समान प्रभाव पैदा करने के लिए ऐक्रेलिक रंग को पतली परतों या washes में लगाया जा सकता है। इसके उपयोग से पेंट की मोटी परतों में यानी impasto मेथड से लगाया जा सकता है - इसके साथ जेल और मोल्डिंग पेस्ट का उपयोग कभी-कभी उभार या रिलीफ इफ़ेक्ट के साथ पेंटिंग बनाने के लिए किया जाता है।
ग्रातेज जैसी अतियथार्थवादी तकनीक से चित्रण हेतु ऐक्रेलिक एक सामान्य रंग माध्यम हैं जिनका उपयोग इस प्रकार के पेंट के अविष्कार के साथ ही किया जाने लगा। इस उद्देश्य के लिए ऐक्रेलिक का उपयोग से ऐसे चित्रण में आसानी से रंग की परत को चित्रण सतह से छीलते हैं या खुरंच सकते हैं।

सिगरेफीटो टेक्निक से दिल्ली शिल्पी चक्र के अंतिम पीढ़ी के कलाकारों में श्री रामेश्वर ब्रूटा एक्रिलिक माध्यम से कार्य करते हैं

आज ऐक्रेलिक पेंट्स का उपयोग शौकिया कलाकार के द्वारा  तथा इंडस्ट्रियल तौर पर भी किया जाता है। सामान्य दिनचर्या में जैसे ट्रेन, कार, घर, या DIY प्रोजेक्ट और मानव मॉडल को रंगने के लिए भी एक्रिलिक रंग का प्रयोग हो रहा है। ऐसे मॉडल बनाने वाले लोग मनेकीन के चेहरे की बनावट के लिए ऐक्रेलिक पेंट का उपयोग करते हैं, या अन्य प्रकार के मॉडल पर डिटेल्स बनाते हैं।

 ऐक्रेलिक पेंटिंग तकनीकी रूप से कैसे प्रतिक्रिया करता है इसे जानें । 

ऐक्रेलिक पेंट को पानी या ऐक्रेलिक माध्यम से पतला किया जा सकता है और वॉटर कलर पेंट्स के तरीके से या washes के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है, लेकिन वॉटरकलर  चित्रों के विपरीत एक्रिलिक  वॉश एक बार सूखने के बाद पुन: उपयोग करने योग्य नहीं होते हैं।
 इस कारण से, ऐक्रेलिक रंग  गोंद मिश्रित जल रंग की तरह सतह से रंग उठाने का मौका नहीं देते हैं। इसके बजाय, इस माध्यम में पेंट को परतों में लगाया जाता है, कभी-कभी पानी या ऐक्रेलिक मीडियम से पतला करके पारदर्शी परतों को आंशिक रूप से इस रंग द्वारा दिखाया जाता है।

ऐक्रेलिक रंग के साथ माध्यम यानि मेडियम के उपयोग से चित्र में रंग को एक प्रभावी और चमकदार आभा देते है, जबकि पानी का उपयोग करने से पेंट पानी के रंग की तरह दिखता है और इसका प्रभाव मैट फिनिश होता है

ऐक्रेलिक पेंट्स के साथ ग्लोस या मैट फ़िनिश  इफ़ेक्ट सामान्य हैं, हालांकि इसका सयटिन यानी (सेमी-मैट) प्रभाव सबसे आम है। कुछ ब्रांड अन्य फ़िनिश के रंगों की रेंज भी बाजार में उपलब्ध कराते हैं।।  जैसे , लिक्विटेक्स का गोल्डन, विंसर न्यूटन तथा कैमलिन का  हैवी बॉडी पेंट्स, और डेलेर-Rowney का पोलिटेक एक्रेलिक पूरी तरह से मैट फिनिश रंग हैं।

तेल के साथ, रंजक की मात्रा और रंगकणों का आकर चित्र में दृश्य को प्रभावित कर सकते हैं। 

फिनिशिंग में रंग को मंद या डल करने के लिए मैटिंग हेतु रासायनिक एजेंटों को रंग निर्माण के दौरान भी जोड़ा जा सकता है। यदि वांछित है, तो कलाकार अपने पेंट के साथ अलग-अलग मीडिया को मिला सकते हैं और शीन को बदलने या एकजुट करने के लिए टॉपकोट या वार्निश का उपयोग कर सकते हैं।
तेल के साथ, रंजक की मात्रा और रंगकणों का आकर चित्र में दृश्य को प्रभावित कर सकते हैं। 

 कैनवास पर साइजिंग के लिए बुनावट के छिद्रों को भरने और समतल करने के लिए ऐक्रेलिक का प्रयोग किया जा सकता है।
केवल जस्सो की प्राइमिंग से रूखे कैनवास के रंग शोखने की क्षमता को नहीं रोक सकते इसलिए एक कोट एक्रिलिक की अवश्य करना चाहिए।

रंग की गुणवत्ता को बनाए रखने वाले उपयुक्त एक्सटेंडर मीडियम का उपयोग करके ऐक्रेलिक की चिपचिपाहट को सफलतापूर्वक कम किया जा सकता है। धीमी गति से सुखाने और वर्क की समय सिमा बढ़ाने के लिए रेटर्डेर आते हैं, जो रंग-सम्मिश्रण की क्षमता को बढ़ाने के लिए सहायक होते हैं।
रिलीफ वर्क करने के लिए मोल्डिंग पेस्ट जेल अक्रयलिक में उपलब्ध हैं। बहुत से चित्रकार इसका प्रयोग टेक्सचर के लिए करते हैं।

सावधानियां इसकी जानिए।


पेंटब्रश और त्वचा से चिपके गीले ऐक्रेलिक पेंट को पानी के साथ  आसानी से हटाया जा सकता है, जबकि तेल पेंट्स को हटाने के लिए हाइड्रोकार्बन या केरोसिन तेल की आवश्यकता होती है।

सूख जाने के बाद, ऐक्रेलिक पेंट आम तौर पर एक ठोस सतह से नहीं छूटता है, अगर यह सतह के साथ चिपक गया है। पानी या हल्के सॉल्वैंट्स इसे फिर से घुलनशील नहीं कर सकते हैं, हालांकि आइसोप्रोपिल अल्कोहल कुछ हद तक ताजा पेंट की परत को रिमूव कर सकता है।

टोल्यून और एसीटोन केमिकल  ऐक्रेलिक रंग की ऊपरी परत को हटा सकते हैं, लेकिन वे सेलेक्टिव पेंट के या किसी खास पेंट के दागों को बहुत अच्छी तरह से नहीं हटा सकते हैं। 

पेंट को हटाने के लिए साल्वेंट के प्रयोग  के दुष्परिणाम से पेंट की सारी परते समेत ऐक्रेलिक गेसो आदि सभी हट सकता है।


तेल और साबुन तथा गर्म पानी से त्वचा पर लग गए ऐक्रेलिक रंग को हटाया जा सकता है। ऐक्रेलिक पेंट को  डेटोल (4.8% क्लोरोक्सिलिनॉल  युक्त) जैसे कुछ सफाई उत्पादों का उपयोग करके पोरस प्लास्टिक की सतहों से हटाया जा सकता है।

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